Monday, October 24, 2016

यह मौसम कितना प्यारा है।

यह मौसम कितना प्यारा है। 
हरियाली का सुंदर नजारा है।
यादें पुरानी मन में जगाता है। 
नित नयी संजीवनी दिलाता है। 
बरसते बादलों से, उम्मीद नवता की लाता है। 
यह मौसम कितना प्यारा है।
गर हो ह्रदय भारी, यह मौसम सुकून देता है।
है कोई चिंता मन में छाई, पानी बारीश का उसे धो जाता है।
मन को भी खूब रिझाता है।
यह मौसम कितना प्यारा है।

राम गीत

तुमचे संपूर्ण हित। मी असे जाणत। 
न व्हावे कधी शंकीत। म्हणे भगवंत।।
करू नये गल्लत। प्रारब्ध आणि कर्म यात।
रहावे कार्यरत। अखंडित।।
प्रत्येकाचे ईप्सित। मी करीतो निश्चित। 
तया जो जाणित। तोची प्रज्ञावंत।।
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राम राम म्हणिता म्हणिता, करीत रहावे काम।
रामनाम देई आत्मबल अन शिणल्या मनी आराम।
चित्ताची साधे शुद्धी, जपता रामनाम।
कशास लागे पोथी पठण, ह्रदयी धरता राम।।
रामाची महती काय वर्णू, दाही दिशात भरला राम।
जाता कुठेही जगी, त्याच्या अस्तित्वाची प्रचिती देतसे राम।
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