Tuesday, August 11, 2015


वर्षा तू 

सौंधी सौंधी सी खुशबू ने 
मन को मेरे महकाया,
तुरंत मैने भांप लिया, यह 
वर्षा का संदेश है आया।

वर्षा तू के आते ही
हो उठते है सबके प्राण खिल,
झरझर झरने लगते बहनें 
कहते, आओ, भूलो सभी मुश्किल।



मुझे भी लगता मै वर्षा में,
झुमू, नाचुं, गाऊ 
आनन - फानन में दौड लगाकर 
वर्षा में भीग कर आऊ।

आओ सभी मिल जुल कर
वर्षा का आनंद उठाये,
ये तू तो देती संदेश नवता का,
हम सभी इसे जीवन में अपनाये । 

-------- माधुरी कुलकर्णी, 
(५ अगस्त २०१५)